वीटीआर बना पर्यटन का पर्याय।
वाल्मीकि नगर /कृष्णा कुमार/ ब्लॉक रिपोर्टर/ पश्चिम चंपारण/ बिहार।
बीते तीस वर्षो के सफर में वीटीआर का अनुकूल वातावरण बाघ और अन्य वन्यजीवों के लिए काफी मुफीद साबित हुआ है, इससे एक ओर बाघों की संख्या में वृद्धि तो वहीं शाकाहारी वन्य जीवो की संख्या भी बढ़ती चली गई। यही वजह है कि यह देश और विदेश में पहचान बनाए हुए है।
11मार्च को वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) की स्थापना के 30 साल पूरे हो गए।लगभग 900 वर्ग किलोमीटर में फैला वीटीआर का जंगल आठ वन रेंजों में बंटा हुआ है। जंगल का अनुकूल वातावरण बाघ समेत अन्य वन्यजीवों के लिए काफी मुफीद है। नतीजतन जंगल में बाघों का कुनबा भी तेजी से बढ़ा है। फिलहाल यहां 54 से अधिक बाघ हैं।
वीटीआर बना पर्यटन का पर्याय----
वीटीआर बनने का सबसे ज्यादा फायदा अगर कुछ हुआ है तो वह यह कि यहां पर्यटन को पंख लग गए। साल दर साल यहां पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होती चली गई। विदेशों तक से पर्यटक यहां आ रहे हैं। इस पर्यटन सत्र में अब तक 50 हजार से अधिक पर्यटक यहां आ चुके हैं। वीटीआर की सफलता में एक महत्वपूर्ण कारक उसकी समृद्ध जैव विविधता है। इसके घने जंगल, घास के मैदान और जलाशय बाघ सहित अन्य वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास है।
वीटीआर प्रशासन एवं स्थानीय समुदाय की पहल पर मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने की दिशा में लगातार प्रयास जारी है।इस बाबत वाल्मीकिनगर रेंजर राजकुमार पासवान ने बताया कि वीटीआर में वन और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए प्रयास जारी हैं। बाघों और अन्य वन्य जीवों की संख्या में इजाफा हुआ है।
चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन इस अवसर पर राजकीय बाल विद्या केंद्र मध्य विद्यालय के प्रांगण में वन विभाग के सौजन्य से
चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर रेंजर राजकुमार पासवान ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चो को वन एवं वन्यप्राणियों के प्रति जागरूक करना है। इस अवसर पर वनपाल नवीन कुमार, गजेंद्र कुमार सिंह, प्रिंस कुमार, प्रधान शिक्षिका सुनिता कुमारी आदि मौजूद रहे।
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