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स्वदेशी मेला, आत्मनिर्भर भारत की ओर बस्तर का ऐतिहासिक कदम    लालबाग मैदान में 1 से 8 अक्टूबर तक भव्य आयोजन

स्वदेशी मेला, आत्मनिर्भर भारत की ओर बस्तर का ऐतिहासिक कदम लालबाग मैदान में 1 से 8 अक्टूबर तक भव्य आयोजन



स्थानीय उत्पादों और कारीगरों को मिलेगा मंच

रिपोर्ट - रजत डे ब्यूरो चीफ बस्तर

जगदलपुर। आत्मनिर्भर भारत का संकल्प अब केवल नारा नहीं रहा, बल्कि धरातल पर उतारने की दिशा में ठोस पहल बन चुका है। इसी कड़ी में बस्तर में 1 से 8 अक्टूबर तक लालबाग मैदान में स्वदेशी मेला स्वावलंबन की ओर बढ़ता भारत की ऐतिहासिक मेजबानी करने जा रही है।

 इस आयोजन के बहाने न केवल स्थानीय उत्पादों और कारीगरों को एक बड़ा बाजार मिलेगा, बल्कि बस्तर की कला-संस्कृति को राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने का अवसर भी प्राप्त होगा।

मेला आयोजन की घोषणा बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स भवन में हुई। ब्रोशर विमोचन के साथ ही समिति गठन की औपचारिक घोषणा भी की गई। आयोजन में मंत्री केदार कश्यप, प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक किरण सिंह देव, बेवरेज कॉरपोरेशन के अध्यक्ष श्रीनिवास राव मद्दी, महापौर संजय पाण्डे, नगर निगम अध्यक्ष खेमसिंह देवांगन, प्रान्त संयोजक स्वदेशी जागरण मंच जगदीश पटेल, प्रांत संपर्क प्रमुख सुब्रत चाकी सहित अनेक जनप्रतिनिधि, पदाधिकारी और नागरिक उपस्थित रहे।

मंत्री केदार कश्यप ने कहा स्वदेशी आज देश की प्रथम आवश्यकता है। हमें प्रयास करना चाहिए कि जीवन के हर क्षेत्र में स्वदेशी का उपयोग बढ़ाएं और राष्ट्र को मजबूत करें। विधायक किरण सिंह देव ने इसे आर्थिक युद्ध के खिलाफ देश का हथियार बताया।सीमा पर सैनिक लड़ते हैं, लेकिन आज देश के भीतर आर्थिक मोर्चे पर लड़ाई हमें लड़नी है। इसके लिए स्वदेशी अपनाना ही होगा।

महापौर संजय पाण्डे ने आयोजन को विकसित भारत 2047 के संकल्प से जोड़ा। उन्होंने कहा यह मेला न केवल व्यापार को दिशा देगा, बल्कि राष्ट्रहित और समाजहित को ध्यान में रखते हुए आर्थिक नीतियों को भी मजबूत करेगा।

यह आयोजन बस्तर के उन कारीगरों और उद्यमियों के लिए वरदान साबित होगा, जिन्हें अब तक अपने उत्पादों को केवल स्थानीय बाजार तक सीमित रखना पड़ता था। मिट्टी, लकड़ी, लोहा, हस्तशिल्प, तांबे-पीतल की कला, बस्तर की बुनाई और आदिवासी उत्पाद इस मेले के माध्यम से पूरे देश में पहचान बनाएंगे।

यह मेला केवल व्यापार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण का मंच बनने जा रहा है। इसमें स्थानीय कलाकारों को प्रस्तुतिकरण का अवसर मिलेगा और बस्तर की पहचान स्वदेशी के वैश्विक विमर्श से सीधे जुड़ जाएगी।

संपूर्ण आयोजन को व्यवस्थित ढंग से संचालित करने के लिए समितियों का गठन हुआ। जिसमें स्वागत समिति के अध्यक्ष श्याम सोमानी, सचिव संजय पाण्डे, संयोजक किशोर पारख, सह संयोजक लक्ष्मण झा, देवेन्द्र देवांगन महिला प्रमुख आशा डोडिया,

सह महिला प्रमुख कल्पना शर्मा की घोसणा की गई।

यह मेला केवल एक व्यापारिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि स्वदेशी आंदोलन की पुनर्प्रतिष्ठा है। महात्मा गांधी ने जिस स्वदेशी को आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता का आधार बताया था, वही विचार आज बदलते वैश्विक परिदृश्य में फिर से प्रासंगिक हो उठा है। 

चीन और अन्य देशों के सस्ते उत्पादों की बाढ़ के बीच जब भारतीय उद्योग और कारीगर संघर्ष कर रहे हैं, तब बस्तर से उठी यह पहल न केवल क्षेत्रीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर स्वदेशी की शक्ति का संदेश देगी। बस्तर का यह मेला लोकल से ग्लोबल की दिशा में एक ठोस कदम है। यह केवल आयोजन नहीं, बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता, सांस्कृतिक अस्मिता और राष्ट्रीय स्वाभिमान का संगम है।

इस अवसर पर स्वदेशी जागरण मंच के प्रान्त पूर्ण कालिक शंकर त्रिपाठी, एमआईसी सदस्य निर्मल पानीग्राही, सुरेश गुप्ता, राणा घोष, कलावती कसेर, त्रिवेणी रंधारी, श्वेता बघेल, योगेंद्र पांडे, संग्राम सिंह राणा, संजय विश्वकर्मा, महेन्द्र कांत संघाणी, पंकज बोथरा, श्रीमती प्राची गर्ग, कौशिक शुक्ला, नवरतन जलोटा, ऋषि हेमानी, बी जयराम, पंकज सिंघल, राजकुमार दंडवानी, धरमचंद शर्मा, अनिल पटेल, रोहित सिँह बैस, निशांत नाहटा, गजेंद्र चांडक, भूमिका साहा, वर्षा सोनी, अभिषेक झा, रोशन सिसोदिया, पारुल बोथरा, गायत्री बघेल, यशवर्धन राव, चंद्रेश चांडक, झरना मोहन्ति, अनुपमा चौकसे, ममता राणा, हेमलता नायक, हितप्रीता ठाकुर आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। मंच संचालन अप्रतिम झा ने किया।

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