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नसीर अंसारी के मकान पर बज़्म-ए-अज़ीज़ का सालाना तरही मसालमा आयोजित

नसीर अंसारी के मकान पर बज़्म-ए-अज़ीज़ का सालाना तरही मसालमा आयोजित


      संवाददाता मोहम्मद सद्दाम  

बाराबकी।  बज़्म-ए-अज़ीज़ का सालाना तरही मसालमा शहर के मोहल्ला नबी गंज (अकबर नगर) स्थित अल्हाज नसीर अंसारी के घर पर आयोजित किया गया। जिसकी सदारत उस्ताद शायर मुजीब सिद्दीक़ी करनैल गंजवी ने की। जबकि निज़ामत की ज़िम्मेदारी हुज़ैल लालपुरी ने निभाई।मेहमानाने ख़ुसूसी के रूप में खीरी क़स्बे के सलमान रिज़वी, अज़्म गोंडवी, अजमल किन्तूरी व मुश्ताक़ बज़्मी ने शिरकत की। पसंदीदा अशआर आपकी ख़िदमत में पेश हैं।

वहीं है ख़ुल्द जहां पर है ख़ुल्द का सरदार।

हमें बताओ न जन्नत का रास्ता क्या है।।

मुजीब सिद्दीक़ी 

ये देखना नहीं काफ़ी वहां हुआ क्या है।

कर उस पे ग़ौर कि पैग़ाम कर्बला क्या है।।

नसीर अंसारी

न देते दर्स सभी को जो कर्बला वाले।

तो लोग जानते कैसे बुरा भला क्या है।।

अज़ीम मशाइखी़

जो तुमने छोड़ दिया अहले बैत का दामन।

तुम्हीं बताओ कि अब पास में बचा क्या है।।

सलमान रिज़वी

कितने बुलंद साहिबे किरदार हैं हुसैन,

इश्क़-ओ- वफ़ा व सब्र के मीनार हैं हुसैन।।

अज़्म गोंडवी

यज़ीद मिट गया सिब्ते अली से टकराकर।

बुझे चिराग़ से पूछो कोई हुआ क्या है।।अजमल किन्तूरी

समझ न पाओगे यूं क़द्र-ओ- मंज़लत उनकी।

पढ़ो तो जानो मुक़ाम-ए- शहे हुदा क्या है।

मुश्ताक़ बज़्मी

ग़में हुसैन के सदक़े में बख़्श दे या रब।

मेरे किए हुए आमाल में रखा क्या है।।

मास्टर इरफ़ान अंसारी

माना कि हम बहुत ही गुनहगार हैं हुसैन।

जैसे भी हैं तुम्हारे तरफ़दार हैं हुसैन।। हुज़ैल लालपुरी

वो जानते थे कि रब की मेरे रज़ा क्या है।

मुझे है जिससे गुज़रना वो रास्ता क्या है।। बशर मसौलवी 

इक बार ख़्वाब ही में हो दीदार आपका।

मुद्दत से हम भी तालिब-ए- दीदार हैं हुसैन।।

सरवर किन्तूरी

रौब-ओ-जलाल देख के रन में लईन सब। कहते थे क्या ये हैदर-ए- किरदार हैं हुसैन।।शम्स ज़करियावी

मोनिस हैं मेहरबान हैं ग़मख़्वार हैं हुसैन।

दुखियों के ग़मज़दों के मददगार हैं हुसैन।। हैदर मसौलवी 

तुम्हें पता भी है पैग़ाम -ए-कर्बला क्या है।

शहीद क्या है, शहीदों का मर्तबा क्या है।।

इसके अलावा, नज़र मसौलवी ,मतिउल्लाह हुसैनी और सबा जहांगीराबादी ने भी अपना सलाम पेश किया।

आख़िर में साहिबे ख़ाना ने तमामी हज़रात का शुक्रिया अदा करते हुए आइंदा माह हमदिया मुशायरे के बारे में ऐलान किया कि यह मिसरा तरह रहेगा।

(या रब है ज़र्रे-ज़र्रे में जलवा गिरी तेरी)

जलवा गिरी क़ाफ़िया है, और तेरी रदीफ़ है।

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