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अजाक थाना बना पुलिसिया रेस्ट हाउस नहीं सुनी जाती प्राथी की शिकायत

अजाक थाना बना पुलिसिया रेस्ट हाउस नहीं सुनी जाती प्राथी की शिकायत


स्टाफ नहीं है या फिर तुम खुद अपराधी को पकड़ लाओ कुछ इस तरह की कार्यवाही होती है कि महीनों सालों में जागता है थाना

संवाददाता विवेक राज कटनी : > अजाक थाना माधव नगर न सिर्फ अनफिट पुलिस कर्मी का आश्रय बन गया बल्कि इस थाने में न सुनवाई होती है न कार्यवाही सरकारी नियमों को किनारे कर गरीब बेसहारा लोगों के लिए न्याय का एक मात्र केंद्र दलालों ओर चाटुकारिता का केंद्र बन गया है। जहां आवेदन के सात दिन के अंदर शिकायतकर्ता की शिकायत निराकरण होना चाहिए। यहां आवेदन के महीनों बाद भी नहीं होता निराकरण उल्टा प्राथी को बोला जाता हैं।की खुद अपराधी पकड़ के लेके आओ ।

आपको बताते चले अजाक थाने में पदस्थ सभी पदधारी या तो प्राथी को डरा कर भगा देते है या फिर उनको इतना मजबूर कर दिया जाता है कि वह अजाक थाने का नाम ही भूल जाए।

कुछ दिनों पूर्व अजाक थाना डीएसपी शुक्ला अपने इन्हीं बड़बोलेपन के कारण मीडिया के सामने नतमस्तक हुए । न्याय के लिए जनता जिनसे उम्मीद लगाती है वहीं उनकी उम्मीद इन लाचार और कमजोर न्याय पालिका से उठती जा रही है।जहां सिर्फ गरीब और लाचार जनता को दबाया डराया जाता है 

सूत्रों से मिली जानकारी मुताबिक थाने से चंद कदमों की दूरी पर भी अजाक थाने में पदस्थ सिपाही ओर हवलदार घटना स्थल में पहुंचने में कई दिन लगते है। 

अजाक थाना एक मात्र केंद्र होता है गरीब निचली जाति ओर लाचार लोगों के लिए न्याय मंदिर पर कुछ पदधारी द्वारा उनके गरीब और निचली जाति के व्यक्ति के मन से यहां न्याय और उचित कार्यवाही तो दूर ये थाना है भी ये अब अपने मन में सोचना भी अपने साथ अन्याय ही होगा मान लिया जाता है।

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