
साउथ कोरिया की 28 सदसीय पर्यटक दल नंदनगढ़ पहुंचकर भगवान बुद्ध की पूजा की।
लौरिया,आशीष, जिला मीडिया प्रभारी पश्चिमी चम्पारण,बिहार।
पूरे विश्व में ऐसा बड़ा बौद्ध स्तूप और कहीं नहीं है। इस ऐतिहासिक और धार्मिक बौद्ध स्थल पर पहुंचकर मेरा हृदय गदगद हो गया है। उक्त उद्गार साउथ कोरिया से नंदनगढ़ पहुंचकर अपने इष्ट देव भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना करते हुए प्रसिद्ध मॉन्क बबसान बुपसन ने कही। उन्होंने अपने द्विभाषीय गाइड अंचित कुमार सिंहा के माध्यम से बताया कि यहां पहुंचकर मैं इस बौद्ध स्थल और स्तूप का दर्शन कर अपने को बहुत भाग्यशाली मान रहा हूं, साथही इस स्थल का मैं वर्णन करने में अपने को असमर्थ पा रहा हूं। उन्होंने कहा कि मैंने देश के कई बौद्ध स्थलों का दर्शन किया हूं, लेकिन इस बौद्ध स्थल का कहीं और तुलना करना प्रभु बुद्ध का अपमान होगा। इधर साउथ कोरिया के बौधिस्ट विश्वविद्यालय के एक्स चेयरमैन और रिटायर्ड प्रोफेसर डोंगुक ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय में इंडिया के लौरिया के इस नंदनगढ़ के बारे में अपने छात्रों को बताया जाता है कि वे एक अवश्य इंडिया जाकर नंदनगढ़ जाकर अपने प्रभू का दीदार कर लो, ताकि मनुष्य जन्म में जन्म लेना सार्थक हो जाए। उन्होंने बताया कि इस अठाईस सदसीय पर्यटकों में मॉन्क के अलावे वहां के प्रसिद्ध बौद्ध, महंथ के साथ आधा दर्जन वैसे बौद्ध भिक्षु हैं जो अपंग हैं, आंख से अंधे हैं और कान से बहरे हैं। वे भी अपने प्रभू का दर्शन करने इस नंदनगढ़ पर पहुंचकर पूजा पाठ कर रहे हैं। इसके बाद सभी साधू, संतों ने नंदनगढ़ की परिक्रमा की और बुद्ध का फोटो रखकर पूजा पाठ की। इसके बाद सभी बौधिष्ट कुशीनगर के लिए प्रस्थान कर गए। अन्य बौधिष्टों में चेंग,ली,जंग,गुन,पाला, कान,शान आदि थे।
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