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बरसात के पानी से लौरिया प्रखंड के सड़कों और लौरिया थाना रोड में फैला पानी ,राहगीरों को हो रही है आने-जाने में परेशानी

बरसात के पानी से लौरिया प्रखंड के सड़कों और लौरिया थाना रोड में फैला पानी ,राहगीरों को हो रही है आने-जाने में परेशानी

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लौरिया,संवादाता,आशीष,प च,बिहार।




लौरिया नगर पंचायत लौरिया में साफ सफाई की ब्यवस्था पर सवाल खड़ा होने लगा है। बरसात अभी शुरू ही हुई है कि थाना रोड वाला सड़क व सब्जी बाजार जाने वाला मुख्य सड़क जलजमाव से भरा हुआ है। सबसे ज्यादा उन नन्हें बच्चों को हो रहा है जो पढ़ने के लिए विद्यालय जाते हैं।

इधर रास्ते और मोहल्लों में जल जमाव होने से सबसे बड़ी परेशानी मच्छरों से होती है। गड्ढों में पानी का भराव होने से मच्छरों की संख्या में इजाफा होता है। जिसके कारण लोग मलेरिया, डायरिया जैसे विभिन्न रोगों के शिकार होते हैं। शुरूआती बारिश के साथ ही जाम नालियों की हालत देखकर लोगों की चिंता शुरू हो गई है।

जलजमाव की इस समस्या से निजात दिलाने को लेकर प्रशासन का ध्यान कई बार स्थानीय लोगों के द्वारा आकृष्ट कराया गया है, लेकिन प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है।

इधर कई बार देखा गया है छोटे बच्चे, बूढ़े व्यक्ति,साइकिल,मोटरसाईकिल या और कोई वाहन से गिर कर या एक्सीडेंट होकर चोटिल होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है और होती भी है।जबकि मोटरसाइकिल चालक तेज गति से रहे महिलाओं व पुरुषों के ऊपर छीटे भी डाल तेजी से निकल जा रहे हैं। वही दूर दराज से चलकर महिलाएं अपनी जरूरत की चीजें खरीदारी करने आती है, उन्हें भी भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बरसात का पूरा पानी सड़क पर ही फैला हुआ है। 

जलजमाव का मुख्य कारण जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं होना है। बारिश के दौरान इलाके जलमग्न हो जाते हैं। पानी निकासी के लिए नालियां या ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने के कारण सड़कें जलमग्न हो जाती हैं।


पानी को बहने और जमीन में रिसने की जगह और स्वतंत्रता देनी होगी। हमें सारी की सारी जमीन को कंक्रीट से ढकने की संस्कृति बदलनी होगी।


अब सवाल यह है कि इन समाधानों को लागू कैसे किया जाए। इसके दो पक्ष हैं सरकार और समाज। कुछ काम सरकार को करना होगा लेकिन सिर्फ सरकार को दोषी मान लेने से काम नहीं चलेगा। हमें समाज केंद्रित समाधान (People Centric Solution) ढूंढने होंगे। महान फिल्मकार सत्यजीत ने कहा था, “The only solutions that are ever worth anything are the solutions that people find themselves”.

समाज को स्वयं पहल करनी होगी। मोहल्लों में आपसी मेल भाव के आधार पर औपचारिक एवं अनौपचारिक कमेटियां बनानी होंगी। जैसे भजन, सत्संग, दुर्गा पूजा, कृष्ण उत्सव, सरस्वती पूजा, ईद, मुहर्रम, छठ पूजा इत्यादि कमेटियां काम करती हैं वैसी ही कमेटी “जल प्रबंधन” के लिए हर मोहल्ले में बनाने की जरूरत है। इसमें सभी आयु वर्ग के लोग हो सकते हैं। इन कमेटियों को जल प्रबंधन से जुड़ी चीजें सीखना होगा। 

इसकी राय किसी एक्सपर्ट या इंजीनियर से ले सकते हैं। इन कमेटियों को मानसून आने से पहले अपने मोहल्ले के लिए उचित प्लानिंग इत्यादि कर लेनी होगी। ऐसी जगहें जहां जलभराव अधिक होता है। उसके लिए व्यवस्था कर लेनी होगी। साथ ही स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर जानकारी इत्यादि शेयर करना होगा।

अपने मुहल्लों कैसे ज्यादा से ज्यादा इको फ्रेंडली बनाया जा सकता है यह देखना होगा। हमें समाज केंद्रित विकेंद्रीकरण की व्यवस्था पर काम करना होगा। हमें ऐसी जगहों की पहचान करनी होगी जहां तालाब और कुएं इत्यादि बनाए जा सकते हैं। समाज को पानी की समस्या को अपने एजेंडे में शामिल करना होगा। हमें यह समझना होगा कि हम यह काम सामूहिक रूप से ही कर सकते हैं। इसके अलावा सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह समाज के साथ मिलकर काम करे और व्यावहारिक समाधान ढूंढने में मदद करे।

वहीं समाजिक कार्यकर्ता, मनोहर ठाकुर,अंगूर आलम, शशि शेखर, रितेश कुमार, सुनील,शिवपूजन कुमार, संतोष जायसवाल, ने बताया कि यदि नगर पंचायत के नालों की सफाई ससमय व बृहत तरीके से होती तो यह नौबत नही आती। वही नगरपंचायत लौरिया अंतर्गत साफ सफाई की ब्यवस्था जिन एनजीओ को सौंपी गई है। उनके कार्यकलाप पर सवाल खड़ा हो रहा है। वही नगर पंचायत के वरीय पदाधिकारियों का ध्यानाकृष्ट कराते हुए जल्द से जल्द सफाई की ब्यवस्था सुचारू रूप से करने की गुहार लगाई है। साथ ही उनलोगों ने बताया कि अविलम्ब नालों की उड़ाही कर सड़क से पानी नही हटाया गया तो इसका विरोध जारी रहेगा।

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