लक्ष्मण परशुराम संवाद, राम के धनुष उठाते ही जनकपुरी में खुशी
रिपोर्ट-योगेश कुमार मुदगल
निधौली कलां आजाद क्लब के कलाकारों द्वारा श्री राम लीला में जनकपुरी में दरबार सजा हुआ है चारों ओर आए हुए राजा सीता का स्वयंवर में बैठे हुए हैं तब लंका से रावण और वाणासुर बीच धनुष को उठाने को लेकर संवाद होता है जिसमें बाणासुर रावण को ललकार कहता है आप कितने वीर हो मुझे मालूम है बल्कि ने आपको बाली ने आपको 6 महीने अपनी बागल में रखा था सारे यतन, सारी कोशिश करते हुए रावण धनुष को हिला भी नहीं पता है और सबसे माता-सीता को लंका ले जाने को कहता है जाते जाते भविष्यवाणी कर जाता है जनकपुरी में सारी दुनिया से आए राजाओं को जब धनुष उठाने में असमर्थ देखते हैं तो राजा जनक ईश्वर से प्रार्थना कर कर कहते हैं हे ईश्वर क्या मेरी बेटी का विवाह नहीं होगा राजा जनक की हालत देखकर भगवान राम की तरफ उनके गुरु इशारा करते हैं गुरु का आशीर्वाद पाकर भगवान राम धनुष की तरफ बढ़ते हैं सब लोग सभी राजा देखकर उन्हें हंसने लगते हैं गुरु चुनाव को नमन करते हुए धन उस को नमन करते हुए भगवान राम धनुष को हाथ में उठा लेते हैं बिजलियां खड़कने लगते हैं राजा देखकर चकित रह जाते हैं जनक प्रसन्नता उनके चेहरे पर आती है माता सीता भगवान राम को देखकर प्रसन्न हो जाती हैं धनुष टूटते ही परशुराम का ध्यान भंग होता है और वह जनकपुरी में आदमी होते हैं धनुष तोड़ने वाले को ललकारते हैं जिसे देखकर लक्ष्मण सामने आते हैं वाक्य कहते हैं परशुराम कहते हैं जिसने भी धनुष छोड़ा है वह मेरे सामने आए उसने अपनी मृत्यु को ललकार को ललकारा है यह बात सुनकर लक्ष्मण को क्रोध आता है काफी लंबा संवाद चलता है उसके बाद भगवान राम होते हैं परशुराम को नमन करते हुए कहते हैं है ऋषि मुनव्वर मैं आपका दोषी हूं मैं ही धनवा तोड़ा है परशुराम को जैसे ही क्रोध में आकर उन पर प्रहार करते हैं वैसे ही उनकी दिव्य दृष्टि पड़ती है परशुराम चकित रह जाते हैं और उन्हें नमन कर कर आशीर्वाद देते हुए वापस लौट जाते हैं जनकपुरी में माता सीता भगवान राम के गले में वरमाला डालते हैं राजा जनक से कहते है कि ऋषि से कहकर तीनों बेटियों का विवाह चारों भाइयों के साथ की तैयारी होने लग जाते हैंl रामलीला का संचालन राकेश भाई द्धारा किया गया क्लब के कलाकारों द्वारा टोनी सोलंकी, शीशपाल सिंह कुशवाहा, कमल सिंह कुशवाहा, राकेश सिंह, राम स्वर्णकार , नीरज पंडित, पप्पू पंडित, कालीचरण कुशवाहा
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